Friday, December 12, 2014

मी रात्री झोपायचो


महेश : काल रात्री मी इतिहासाच्या पुस्तकावर दहा तास घालवले.
रमेश : काय, चक्क दहा तास ?
महेश : हो, रात्री पुस्तक उशीखाली घेऊनच झोपलो होतो.
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एक गाढव झाडावर चढते. झाडावर आधीपासूनच हत्ती बसलेला असतो.
हत्ती : तू झाडावर काय करतोयस ?
गाढव : सफरचंद खायला आलोय.
हत्ती : अरे गाढवा, हे तर आंब्याचे झाड आहे.
गाढव : मी सफरचंद सोबत घेऊन आलोय.
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नितेश : अरे सतीश, हे आंब्याचे झाड बोलू लागले तर काय मज्जा येईल ना !
मितेश : मजाच येईल ! कारण, ते बोलू लागल्यावर प्रथम तुला सांगेल, की मी वडाचे झाड आहे.
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सोन्या : बाबा, पक्याच्या वडिलांचा फोन होता.
ते म्हणाले, “तुम्ही माझा गृहपाठ लिहून पूर्ण केला की वही त्यांच्याकडे पाठवा !”
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संता : मी दहा दिवस झोपलो नाही.
बंता : का बरं ?
संता : अभ्यासासाठी.
बंता : कसं काय जमलं तुला ?
संता : अरे, मी रात्री झोपायचो.